नज़्म




 मैं जहर खोज रहा हूं अमृत की बस्ती में
मिलेगा क्या ?
धुएं ने आसमान में जाले बना दिए
सूर्य उससे रुकेगा क्या ?

मेरे भावना से खिलवाड़ करके 
तुम मुझसे दूर जा रहे हो
मेरे जितना तुमसे कोई मोहब्बत करेगा क्या ?

मेरी आशाओं का एक घायल से अचेत पड़ा है
जैसे जज्बातों की कलम में स्याही सूख गई है
अब वह चलेगा क्या ?

वो मरा नहीं है 
जिसकी अंतिम सांस अभी भी अटकी है
वो जलेगा क्या ?

शहनाइयां लाख बजाओ तुम
भले ही वीरों को श्रृंगार का चादर ओढ़ाओ तुम
दुल्हन जिसकी मौत है
 वो दूल्हा कभी बनेगा क्या ?
    
           अद्वितीय ऋषि कपूर भारती



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