हे ! वत्स खंजन नयन में अंजन नहीं मस्तक पर तिलक नहीं , हस्त में न भाल ले ले...ले... ले.... बेटे ये मां नाम का चादर है तू अपने तन पर डाल ले झुक कर मत चलना देखना तुम बाजीली निगाहों से उत्तुंग शिखर पर चितचोर अरि भी बैठा होगा रक्त और रुधिर तुम्हारा पीने कालसर्प भी ऐठा होगा शौर्य की गाथा राष्ट्र गाएगा जवानी को तू अपने छान ले ले...ले... ले... बेटे मां नाम का चादर है तू अपने तन पर डाल ले उपाधियों को ध्यान में रख राष्ट्र का अभिमान ले कर जोड़ गिराते हुए शत्रु का आश्रय दाता बन जा न तू उसकी जान ले ले... ले... ले... बेटे मां नाम का चादर है तू अपने तन पर डाल ले प्रहरी तू देश का है स्वदेश का अभिमान ले हो काशी वाला या कर्बला का भक्षक हो राष्ट्र का गर नीसंकोच दुश्मन तू अपना मान ले ले... ले... ले... बेटे ये मां नाम का चादर है तू अपने तन पर डालें इन बूढ़ी आंखों की आशा है तू गम में खुशियों की परि...