दरियादिली की तुम कहानी क्यों नहीं लिखते?

                    दरियादिली कि तुम कहानी क्यों नहीं लिखते





 दरियादिली की तुम कहानी क्यों नही लिखते

गुजरा है जो बचपन 

दुखों के पड़ाव में 

जवानी में उसकी कहानी क्यों नहीं लिखते


 रंगीन शाम देखकर तुम भूल जाते हो वो गुलामी की बातें

 दिया है आक्रांताओं ने जो तुम्हारे भारतवर्ष की छाती पर दर्द 

अब तुम उसकी जबानी क्यों नहीं लिखते 


लिखते हो तो बस प्यार मोहब्बत की बातें

 मौका तुम्हें मिला है जब तो भगत सिंह राजगुरु और उधम सिंह की जवानी क्यों नहीं लिखते


क्यों,

क्यों उसे लिखने में क्या लज्जा आती है 

आती है तो बोलो राज दिलों का खोलो सच् आज तुम बता दो 


तुम्हारे सीने में देश का दर्द है 

या मोहब्बत का धुआं उठ रहा है 

अगर तुम्हारे सीने में देश का दर्द है तो


 खोल दो लेखनी की धार 

सिखा दो कलम को बगावत 

तो लिखो लहू से जिनके भीगे हुए हैं गिरेवां अब तो तुम उन्हें गद्दार लिखो खैर ऋषि के ही कहने पर 


लेकिन 

गली मोहल्ले और बाजारों में सौ सौ बार लिखो


          (कवि ऋषि कपूर भारती)

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