बात बदलती रही

कभी चाहा कभी बेकार गुजरती रही सोचा तो था कि इश्क़ उन्हीं से करेंगे मगर ये सोच हमसे हरबार गुजरती रही क्या चेहरा था और क्या थी उनकी अदा हम दीवाने हो गए और वो संवरती रही नहीं बस मुझ पर नहीं चढ़ा था रंग ए मोहब्बत लोग दीवाने होते रहे वो जहां से गुजरती रही बात जो उनसे कहनी थी मालूम था मगर बात कहने में उनसे बातें बदलती रही

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