खैर कोई बात नहीं ( Vishal Kumar)
पहले हंस के मुस्कुराके सामने आया करते थे तुम अब तो चेहरे पर केवल फरेब ही नजर आता है लगता है जैसे कोई मुलाकात नहीं ख्यालात नहीं खैर कोई बात नहीं. .... अबअब तू मेरे साथ नहीं कभी पलके जगती थी तेरे इंतजार में दिल धड़कता था तेरा मेरे इस प्यार में मैं तुम्हें समझ ना पाया मृदुल धोखो के बाहर में कि अब तुझसे कोई जज्बात नहीं... खैर कोई बात नहीं अब तू मेरे साथ नहीं वो दिन था कि खुशियां लुटा था तब तुझ पर तनिक भी ना गुस्सा दिखाता था तुझ पर वही प्यार करो पर बरसा रही हो सच में नजरों से मेरे तुम गिरती जा रही हो मेरे सामने केवल दिन है रात नहीं खैर कोई बात नहीं अब तू मेरे साथ नहीं पल पल पल तरसते थे मिलने को तुम अब तो बरसो गुजर जाते हैं कोई मुलाकात नहीं खैर कोई बात नहीं क्योंकि अब तू मेरे साथ नहीं विशाल कुमार